Wednesday, April 22, 2020

न्याय दर्शन के सिद्धांत - Principles of justice philosophy...

---न्याय दर्शन के सिद्धांत और उसके प्रवर्तक---

न्याय दर्शन में 16 तथ्यों का समावेश किया गया है।
तथा न्याय दर्शन के प्रवर्तक गौतम ऋषि को माना जाता है।
संसार को न्याय दर्शन प्रदान करने की सलाह भगवान शिव ने गौतम ऋषि को दी थी। और ये भी कहां था। कि न्याय दर्शन की प्रकिया भगवान राम के द्वारा उनकी पत्नी को मोक्ष प्रदान करने बाद ही पूर्ण होगी।
न्याय दर्शन के द्वारा ही संसार को न्याय से संबंधित न्याय करने की प्रक्रियाओं की पूर्ति हुई थी।
वह 16 प्रकार की न्याय व्यवस्था इस प्रकार बताई गई हैं।
1. प्रमाण - प्रमाण चार प्रकार के होते है - प्रत्यक्ष , अनुमान, उपमान, शब्द।
2. प्रमेय - ये भी बारह प्रकार के होते हैं - आत्मा, शरीर, इन्द्रियां, अर्थ, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, मन, प्रवत्ति, दोष, प्रेतभाव, फल, दुःख, उपवर्ग।
3. सिद्धांत- ये चार प्रकार के है - सर्व तंत्र सिद्धांत, प्रति तंत्र सिद्धांत, अधिकरण सिद्धांत, अभूपगम सिद्धांत।
4. हेत्वाभास - ये पांच प्रकार के है- सत्यविचार, विरुद्ध, प्रकरण सम, साध्य सम, और कालातीत।
5. छल - ये तीन प्रकार के है - वाक् छल, सामान्य छल, उपचार छल।
6. शंशय
7. प्रयोजन
8. दृष्टांत
9. जलप
10. जाति
11. निर्णय
12. वाद
13. अवयव
14. तर्क
15. वितांडता
16. निग्रह स्थान.
इस प्रकार भगवान शिव ने ऋषि गौतम द्वारा न्याय दर्शन की रचना कराई।

       



English translation - Principles of justice philosophy


*16 types of facts are included in the philosophy of justice.
*
And Gautama Rishi, the originator of Nyaya Darshan, is considered.

*Lord Shiva advised sage Gautama to provide justice to the world.

*And this was also said.The process of Darshan Darshan will be completed after Lord Rama grants salvation to his wife.

*Only through the philosophy of justice will the processes of justice related to justice to the world be fulfilled.

*Those 16 types of justice process are described as follows.

1. Proof - Proof is of four types - direct, inference, simile, word.
2.
Theorem - These are also of 12 types - soul, body, senses, meaning, intelligence, knowledge achievement, mind, tendency, dosha, phantom sense, fruit, sorrow, subclass.
3.
Principles - These are of four types - Sarva Tantra Siddhanta, Prati Tantra Siddhanta, Tribunal Siddhanta, Abhupagam Siddhanta.
4. Hetavabhasa - These are also of five types - Satyavichara, Kasikasam, Vindhya, Sadhyasam, Timeless.
5.
Trick - There are three types of trick - speech trick, common trick, treatment trick.
6. Doubt
7. The purpose
8.Illustration
9. Source
10. Cast
11. Decision
12. Suit
13. The components
14. Argument
15. Absurdity
16. Sanctuary

Thus Lord Shiva created the philosophy of justice by sage Gautama.

 


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